trip to tekanpur

मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण सफ़र था ये ट्रिप टेकनपुर का मैं अपने जीवन के कुछ अभिन्न मित्र , दुश्मन तथा अध्यापक/ अध्यापिकाओ के साथ थी जिन्हें शायद मैं अपने जीवन में कभी और न मिल सकुंगी...
एसा लग रहा है की सब कुछ चूता जा रहा है.. कोई मुझसे वो सब चीन लेना चाहता है जिसपर केवल मेरा ही हक़ है .  ये सब न जाने किस नयी अनुभूति के ओर ले जाना चाहता है. मैं फिर उठाना चाहती हूँ आगे भाद कर मिलना चाहती हूँ उस लहर के साथ जो शायद मेरे लक्ष्य तक मुझे ले जाये,
उस दिन(२८ फरवरी २०११ ) जो कुछ हुआ कोई बिचादना नहीं चाहता था पर सब इसे नियति मन तस्वीरों के रूप में इसे सजाना चाहते थे . सब ट्रिप समाप्ति पर आखरी हर काम करना चाहते थे जो उन्हें सदा यादे याद करते समय अच्छी लगे.
मेने भी किया और करती रहूंगी.

धन्यवाद...

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